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Deshbhakti Nazm
ख़्वाबों का गुल्सिताँ है तू,अरमानों का चमन
जन्नत से कम नहीं है तू मेरे लिए वतन
इक गीत मैंने लिक्खा है तेरे लिए वतन
ख़्वाबों का गुल्सिताँ है तू,अरमानों का चमन
परबत हिमाला अज़्म का परचम कहें जिसे
गंग-ओ-जमन हैं प्यार का संगम कहें जिसे
झरनों से फूटी है नई उम्मीद की किरन
ख़्वाबों का गुल्सिताँ है तू,अरमानों का चमन
गौतम रहीम नानक और चिश्ती-ओ-कबीर
पैग़ाम लाए प्यार मुहब्बत का सब फ़क़ीर
इं
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