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एक छोर पकड़े
दूसरा छूट जाए
खींचती है जिंदगी
जाए तो कहां जाए
अपने ही चुने
फैसलों के जाल है
बाहर भी तो कैसे आएं
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एक छोर पकड़े
दूसरा छूट जाए
खींचती है जिंदगी
जाए तो कहां जाए
अपने ही चुने
फैसलों के जाल है
बाहर भी तो कैसे आएं
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