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सिर्फ़ गले लगाने से दुख कम नही होते

Neeraj नीरNeeraj नीर January 16, 2023
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- कविता

तुम्हारे होंठ आज भी सुनते है बस
बस आँखें बोलती हैं आज भी

कुछ मुश्किल काम अब आसानी से हो जाते है

मैं आग ( तुम्हें) छूते हुए नही सोचता
तुम पानी (मुझे) छूते हुए सोचती हो

जो कुछ भी सुंदर और सरल है इस जहाँ में
उसमें तुम्हारा अंश है

'अक्सर बोलते-बोलते चूमने की इ

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