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नया साल (कविता ) 
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गाँव में
चौखट पर बैठी,
शहर में रहने वाले
बड़े बेटे के लौटने का
इंतज़ार करती...
बूढ़ी माँ की बची सांसें है
नया साल.

या फिर यूं कहें बूढ़े बाप की लाठी,
मोतियाबिंद,
चेहरे की झुर्रियां,
या ठूँठ होता बरगद.

अगर नहीं?
तो कह लीजिए
कोने में सुबकती
आईने से बातें करती

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