
Share0 Bookmarks 9 Reads0 Likes
जिस भाषा में तुम्हारी आँखें
मेरी आँखों को पढ़ती है.
जिस भाषा में दिल धड़कता है
और कहता है तुम मेरे हो.
जिस भाषा में हम ख़ामोशी
को समझते है.
जिस भाषा में मैं लिखता/चीखता हूँ
जिस भाषा में माँ की लोरी सुनी थी
जिस भाषा में दुनिया के ताने सुनता हूँ
जिस भाषा में कभी दिल टूटा था
जिस भाषा को अब मैं जीता हूँ
:
हिन्दी और कुछ नहीं सांसे है
हिन्दी प्रेम है
हिन्दी संघर्ष है
अंग्रेज़ियत में
,
भारतवासियों के बीच.!
.
~नीरज 'नीर'
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments