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जब हम विदा होंगे!
जब हमारा प्रेम,
अपनी तथाकथित पूर्णता पर होगा, यानी..
जब हमारे बीच, इस दुनिया के आडम्बर आ जायेंगे!
जब हम हार मान लेंगे,
इस दुनिया और इसके आडम्बरों के आगे नही, बल्कि...उस प्रेम के आगे, जिसका पहला अधिकार है हम पर...
तब मैं तुमको विदा करूँगा...
जैसे युद्ध में जाते हुए नायक को करती है, उसकी प्रेयसी
हदय में उठते हुए सारे आवेगों को हदय में दबाए!
मुस्कुराती आँखों में जल भर-कर!
तुम्हारे नये सफ़र की दुआएँ करता हुआ।
मैं तब भी करूँगा तुमको याद....
तुम्हारा अहसास रखूँगा, जैसे...नाक को कोई गंध, जीभ को कोई स्वाद, और
देह को कोई छुअन...याद रह जाती है।
और, करूँगा तुमसे संवाद, जैसे
बौराया हुआ, अब करता हूँ, तुमसे मानसिक संवाद!
-rohit
Instagram - @therohitofficial
Twitter - @YesIRohit
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