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जिससे करते हो तुम प्रेम! - करते जाओ
बिना किसी कामना के...
तुम करते जाओ, अपने हिस्से का प्रेम!
पतझड़ से मत डरो
प्रेम में सभी मौसम समाये है
सभी ऋतुएं प्रेम ही से है!
प्रेम! पूर्ण समर्पण मांगता है
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