
Share1 Bookmarks 201 Reads1 Likes
तुमने सुनिश्चित कर ली सदाकत,
दिनचर्या में जोड़ी अनोखी आदत,
तुम आत्मसमर्पित करते अपनी खामी,
नहीं तुम किसी लालसा के स्वामी,
वर्जिश रोज़ करना तुम्हें भाता,
आत्मावलोकन से व्यक्तिव संवरता जाता,
हर उलझन का भंवर सुलझ जाता,
तुम कई विधाओं के हो ज्ञाता!
तुम ना कुढ़ते कभी अभावों में,
खूब सुकून भी पाते निश्छल भावों में!
फिर उभर कर आते तुम सदैव,
ना हृदय में पनपता तुम्हारे ज़रा भी बैर,
फलसफा यूंही प्रगति का कायम रहेगा खैर!
अपने भीतर झांको मुमकिन पूरे जगत की सैर!
-यति
Kudos to your Dedication!
Much power,
Much Love! ✨
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments