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तितली एक सुनहरी सुबह में,

उड़ती उन्मुक्त हवा के झोंको में!

वो पुष्पों पर कुछ पल मंडराती,

अपनी चहलकदमी फिर दोहराती!

तितली रानी करती प्रकृति को शोभित,

देख उन्हें हो जाती मैं बहुत मोहित!

पढ़ा था कल किताब में फिर उनके बारे,

जाना तब कैसे वो जीती पुष्प रस के सहारे!

रोमांचित करता प्रकृति का प्रत्येक लेश,

शिक्षा से मिटता भीतर का भ्रम और क्लेश!

विज्ञान समझाता करना उपयोगी तर्क वितर्क,

भाषाविज्ञान में उन्नत हो बनते हम और सतर्क!

नई पीढ़ी का करते हम प्रतिनिधित्व,

सही निष्पक्ष इत

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