
इंसान ने लिया बहुत कुछ खोज,
आधुनिक उपकरणों का उपयोग होता रोज़,
विचारों का सरल हुआ अदान प्रदान,
इसे हम बखूबी मान रहें वरदान,
बिल्कुल! सरल हुआ अर्जित करना ज्ञान,
किंतु इसके प्रभावों से शायद हम अनजान,
तकनीक पर निर्भर होने का ये पहला सोपान,
अब प्रशस्तियां कहां ? सिर्फ मुफ्त में गुणगान,
आत्मबोध की वैदिक विधि का संकलन रखता वेदांत,
सदैव प्रासंगिक रहेंगे सहेजे गए यात्रा वृतांत,
धर्म के नाम पर न पड़े इंसानियत में दरार,
बिना सत्य परखे बेकसूर को ना दें हम दोषी करार,
रूढ़िवादी सोच समाज में द्वेष रखती बरकरार,
हुनरमंद और हिम्मती न हो कभी ज़रा भी लाचार,
देश सेवा में जो दांव पर लगाते अपनी जान,
उसका न डगमगाएं कभी आत्मसम्मान,
हम मिलकर करेंगे जब सहज रूप से विचार,
तो जानेंगे समाज में मौज़ूद श्रद्धा के कई प्रकार,
समझे सभी भाषाएं हिंदुस्तान की बहुत गहन,
सौभाग्य हैं हमारा जो हम कर सकते सभी का अध्यन।
- यति
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