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हवाओं सी वो बहती,
मन में वो खुदसे कहती,
लांघने को वो आराम की देहरी,
सोच में थी वो पहले से गहरी!
फिर मिला उसे दोस्त राहिल,
खोजने लगे दोनों संग साहिल!
निकला मुसीबतों में हल,
मन तो दोनों का जाता बहल!
ये दोस्ती बड़ी ही सयानी!
दोनों की अनूठी अनमोल कहानी!
दोनों को ना भाए बेवजह निगरानी,
आज़ाद जीनी इन्हें अपनी जिंदगानी!
दोनों अपने सपने बेधड़क बुनते!
अपना रास्ता तो ये खुद ही चुनते!
दिल की अपनी हमेशा सुनते,
ज़िंदगी से ना कभी दोनों रूठते!
परिवर्तन तो इनको बहुत लाना हैं,
प्यार तो इनके लिए बस एक बहाना हैं,
दुनिया से तो दोनों को अकेले ही जाना हैं,
उजाले को तो फिर नए रूप में आना हैं!
जानते दोनों रिश्तों को निस्वार्थ होकर निभाना,
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