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जुनून और पेशे का संगम,
सबसे सुनहरा ऐसा अमलगम,
फिर परिचय देता सतत् ज्ञान,
निर्मल-सा अथाह स्वाभिमान,
प्रत्येक क्षण जब ध्येय पर चित्त,
सभी तकलीफ़ो से उबरकर नित,
स्वप्न करे जो प्रयत्नों से साकार,
वो ना पाले भीतर दूषित विकार,
रोज़ समस्त कार्यों में अनुशासन,
हर निरर्थक आदत का निष्कासन,
माटी से जिसका हो गहन जुड़ाव,
वो ना बढ़ाता समाज में अलगाव,
ऐसी
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