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जुनून और पेशे का संगम,
सबसे सुनहरा ऐसा अमलगम,
फिर परिचय देता सतत् ज्ञान,
निर्मल-सा अथाह स्वाभिमान,
प्रत्येक क्षण जब ध्येय पर चित्त,
सभी तकलीफ़ो से उबरकर नित,
स्वप्न करे जो प्रयत्नों से साकार,
वो ना पाले भीतर दूषित विकार,
रोज़ समस्त कार्यों में अनुशासन,
हर निरर्थक आदत का निष्कासन,
माटी से जिसका हो गहन जुड़ाव,
वो ना बढ़ाता समाज में अलगाव,
ऐसी अमूल्य योग्यता का अभिवादन,
जो शिक्षा का सफल करे प्रतिपादन,
जिसकी कर्मठता से समाज गंभीर,
जो तोड़ता हो मिथकों की जंजीर,
सत्य में समाता जिसका स्थायित्व,
जो निभाए निश्छल अपना दायित्व,
सम्मोहक उसका सौम्य सा व्यवहार,
माहिर कर पाया जो पूर्ण प्रत्याहार।
- यति
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