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जब ना हो पास में कोई सुविधा,
सता रही हो जटिल दुविधा,
एक पल तुम याद करो,
एक लंबी सांस भरो,
वर्तमान में सुलभ अवसर तुम परखो,
निवेदन हैं अश्रुओं को अपने सोखो,
ना लगने दो प्रगति पर "यति",
ना व्यथित होने दो यूं तुम्हारी प्रगति!
हार तो केवल बेहतरी के लिए तैयार करेगी!
धैर्य की दरकार तो हर प्रकार तुम्हें रहेगी,
तुम्हारी रूह भी तुमसे कष्ट में यही कहेगी,
अफसोस का भार कब तक खामोशी से सहेगी?
- यति
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