पदचाप's image
Share2 Bookmarks 53243 Reads13 Likes

जीवन की कभी धीमी सी चाल,

मुरझाया सा लग रहा उसका हाल?

कभी खुशियों की भरपाई में फुर्ती,

स्वच्छंद हो रही थी निस्वार्थ इच्छापूर्ति!

वहीं कभी समक्ष अनिश्चित लम्हात,

आगे क्या होगा उसमें ढ़ेरों सवालात!

तो मन को सही दिशा में बहलाकर,

शिव की शाश्वत शक्ति को संग पाकर,

नज़रिया रखिएगा जिसमें प्रचुर बल,

निर्विकार होकर खोजिएगा फिर हल,

विवश जो भी कर रहा होगा आंतरिक,

उसमें भी मिलें आपको बिंदु सांकेतिक!

बढ़ातें रहिए कदम सदैव सही ओर,

चाहे अंधकार क्यूं ना छाया हो घनघोर!

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts