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नियम काफ़ी कड़े,
फैसले प्रतिदिन बड़े!
नवीन व निरुपम विषय,
परिवर्तित हो रहा समय,
संविधान सदैव ही प्रधान,
फिर जटिल क्यूं समाधान?
कुछेक औचित्यहीन सवाल,
जनसत्ता में कैसे लाते बवाल?
जनजागृति हेतु गर छिड़े मुहिम,
क्लेश ना हो कहकर राम-रहीम!
समस्या से पीड़ित ना रहे गुमनाम,
लंबा वक्त ना लगाएं सरकारी काम,
अमूमन पिसता केवल आदमी आम,
परिवार संग चाहता सुकून की शाम!
शासन का दायित्व गर जनता के प्रति!
तो कहां विवश रह जाती राजनीति?
स्वेच्छा से प्रगाढ़ हो एकता का भाव!
मुमकिन है ज़मीनी व ज़रूरी बदलाव!
- यति
Dedicated to every Game-Changer!
"United we stand,
Divided we fall."
More Love
,
Much Light!
always :)
♥️
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