
Share2 Bookmarks 309 Reads8 Likes
दिल को कभी लगता लाज़मी बिखर जाना,
इससे समझता बाकी भीतर निखार लाना!
किशोरावस्था देता अनुभवों को नज़राना,
इच्छापूर्ति का तो होता अक्सर नया बहाना!
सद्भावना के लक्ष्य को चाहता हृदय पाना,
तजुर्बे से कई गुणों को होता भीतर आना,
जो अपनी जि़म्मेदारियों को बराबर जाना,
वो गलतियों को छिपाने में ना रहता रवाना,
झूमने दिल करता सुन पसंदीदा सा तराना,
दिवास्वप्न में खुमार का सरल होता हैं छाना!
सिखलाता बहुत कुछ स्वस्थ्य सा याराना,
कोई रहता तल्लीन अपने शोध में दीवाना,
कोई महसूस करता खुदको बाग़ी परवाना,
अनुशासन से सरल किंतु स्वप्न का संवर जाना,
ज़रूरी वो जैसे धुन लिखने बाद कोई गाना!
गुस्ताखी में हो जाता ज़रा अपनों को सताना,
मन देखता मां पिता का जतन से
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments