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स्वस्थ्य रहे हृदय गति,
पहुंचे ना लापरवाही से क्षति,
तीव्र हो मनन से अपनी मति,
ना लगे प्रगति पर कभी "यति"!
मिलवाती हूं आपको उससे,
प्रेरक हैं जिसके नन्हें किस्से,
दादी-नानी की वो लाड़ली पोती,
लिखावट में अक्षर मानो उसके मोती!
कहानियों से निड़रता के बीज वो बोती,
अनुभव से सबक आशा के पिरोती,
मन हैं उसका जैसे मुलायम सी रुई,
खोज लाती रोज़ भीतर से तरकीबें वो नई!
वो जाने प्रयासों से उंचाई जा सकती छुई,
चुभन चुनौतियों सी मुमकिन जैसे कोई सुई,
रोष से तापमान बढ़ता जैसे महीना हो मई,
हौसले की सलामती के पहलू होते किंतु कई!
बेटियां सुदृढ़ हो रही हर क्षेत्र में वाकई,
ऊर्जा और सहनशक्ति उनकी जादुई!
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