
Share2 Bookmarks 352 Reads8 Likes
ज़बाँ पर लाना हो नया विचार!
करना हो चाहे शोभनीय विस्तार!
हिंदी में हैं संस्कार!
हिंदी में संभावनाएं आपार!
हिंदी से सीखी मैंने मात्राएं!
कई शताब्दियों की हुई हिंदीं की यात्राएं!
हिंदी की हर श्रृंखला विस्तृत!
श्रेय रखती उत्त्पति हेतु वेदिक संस्कृत!
हिंदी हैं सबका ईमान!
कोई लिपी नहीं देवनागरी समान!
इसमें ज़ारी होते अनेक फरमान!
सह आधिकारिक भाषा का इसे प्रमाण!
हिंदी बसती हिंदुस्तान में!
हिंदी समाती रूह और जान में!
हर क्षेत्र में भाषा की मिठास सुहाती!
चाहे शौरसेनी,राजस्थानी हो या गुजराती!
पैशाची, ब्राचड़, खस,महाराष्ट्री,मागधी!
समर्पित होती रहे सभी के प्रचार में कुछ अवधि!
अपभ्रंश के जाने हम सभी भेद!
पढ़ सके हर नई पीढ़ी पुराण तथा वेद।
- यति
जय हिंद !
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments