Share5 Bookmarks 220197 Reads11 Likes
तुम्हारी याद में आज ज़रा रुखाई,
अंबर से कहती मैं करो मामले की सुनवाई!
वो एक कमसिन सी कश्मीर की कली,
अकेले पूरे भारत भ्रमण को जो चली!
आज स्वर्ग में शायद ठहरी हैं,
फिर क्या स्वर्ग के प्रहरी कहते हैं?
क्या वो बिन बुलाएं मेहमानों की करते नवाज़ी?
दिलों को जुदा करने के लिए रहते वहां सब राज़ी?
अब बतलाऊं क्या मां के मैं फिर बारे में!
अब नहीं राह देखती वो मेरी खड़े द्वारे में!
वो चली गई हैं कहीं दूर, किंतु उजड़ा नहीं फितूर
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments