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आज सुनाती हूं आप सबको रात्रि भोज की कथा!
लीजिए! जानिए परिवार के सदस्यों की मज़ेदार व्यथा,
कुर्सी पर बैठी हैं छुटकी,
लेती हैं अपने बड़े भाई की चुटकी,
खींचती हैं सबकी बहुत टांग,
उधर बड़ी बहू की सीधी मांग!
खाने से पहले करें सब प्रार्थना,
ऐसी अटूट हैं भई उसकी आराधना!
बड़ा बेटा कभी यूंही बेवजह झगड़ालू,
खाने में हर सब्ज़ी में ढूंढता बस आलू,
सबको पसंद खाने पर चर्चा,
बड़ी मां को नहीं पसंद पर अनर्थक खर्चा,
मेज़ पर सब बैठे संग,
सबका लेकिन अपना - अ
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