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हैवान से हुई हूं आज फिर हैरान!
निर्भया का घर आज भी वीरान!
मौत के घाट डाल भर दिए शमशान!
मौका इनको मिलता जब भी रास्ता सुनसान!
दर्द लेती गर्भ में मां कितना उससे ये अनजान!
हैवान से हुई हूं आज फिर हैरान!
मादकता के विष से ज़हरीला हो रहा समाज!
बयानबाज़ी से ही तो चलता हैवान का पूरा कामकाज!
स्तन को नोंचने की सोचने पर ना आती इनको लाज!
वहशी की बदहवासी से कितना मन बौखलाया आज!
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