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उड़ान जो थी कबसे अधूरी,
जल्द होने को अब वो पूरी!
द्वंद से भी बना लें ज़रा दूरी,
नई शुरुआत का स्वागत ज़रूरी!
धैर्य से बंधी सुनहरी सौगात,
उत्साह से लबरेज़ जैसे बारात!
ऐसे अचानक हुई दस्तक बड़ी तेज़,
अनिश्चितता से कहां था कभी परहेज़?
मन के आंगन में सुख कि कलियां आपार,
निश्चय से खिली गुलों में क्या खूब बहार!
अब अनुशासन का नया आयेगा पाठ,
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