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तुम सपनों को पूरा कर सकते हो!
भार होने के बावजूद भी न थकते हो,
तन्हाई के समक्ष ना कभी रुकते!
कभी खुदको शाबाशी क्यूं नहीं देते?
असत्य तुम्हें ना कर सकता भ्रष्ट,
जीवन में लगे रहते साथ कुछ कष्ट!
थोड़ी कभी राहत हैं,
अगर जागरूकता न रही तो आफत हैं!
कार्य अपना लगन से करते,
समाज कल्याण का ख़्याल भी रखते!
बहुत अकेली रातें काटी तुमने,
आते जाते मिली चुनौती सदैव स्वीकारी तुमने!
पर तुमने कहां हार मानी!
तुमसे ना हो सकती तुम्हारी शक्ति कभी अनजानी,
ये हैं एक ऐसा अतुल्य वरदान,
जो मनुष्यता में भरता हैं ज्ञान,
चित्त करों तुम पुनः एकाग्र,
मन से मिटा दो सारे विकार,
करों पहले खुदका सत्कार,
खुदके भीतर स्वाध्याय से करों उपकार।
- यति
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