
Share2 Bookmarks 181 Reads2 Likes
देह का होता खुलेआम व्यापार!
आकर्षण जब तक बाज़ार को रिझाए,
फर्क नहीं फिर चाहे रहो तुम अंदर से मुरझाए!
ये माया का मोम सरीखा बाज़ार,
शमा में न पिघलना इसकी बेकार!
प्रचलित यहां अनेकों प्रथाएं हज़ार,
संदेह को दो सदा के लिए तुम नकार!
खूब दृढ़ता से हो हुनर की सुरक्षा,
कुदरत धैर्यवान को सदैव बख्शा!
करो तुम निरोगी काया का निर्माण,
संतुलित आहार हैं उपाय रामबाण,
एकाग्रता से सपने भी लेंगे आकार,
आनंदित रहने के हैं निरंतर आसार!
कोशिश से बेहतर भी होता चले व्यवहार!
सक्षम बनो मिलेंगे अवसर भी विभिन्न आपार,
अच्छी पुस्तकों से व्यसन के ना होगे कभी शिकार,
सच्चे सिद्धांत तो सिखलाती जीवन की कक्षा!
शिक्षा से ही प्राप्त होती सबसे अनमोल दीक्षा।
- यति
Be yourself!
&
Explore a new book shelf!
✨
❤️
:)
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments