
Share2 Bookmarks 154 Reads3 Likes
कुछ बातें ख़ामोशी में भी कह दी जाती हैं,
कुछ यादें तो ख्वाइशों के बिना भी सजीव रहती हैं।
ऐसी ही यादों , बातों और इरादों के नाम पेश हैं चंद अल्फाज़ो वाले कुछ छंद!
आशा करती हूं आपको पसंद आएं! :)
साथ ही टिप्पणी कर सुधार के बिंदु बतलाएं,
बताएं ये भी की आपको मेरे लेखन में क्या कुछ लुभाएं!
तो प्रस्तुत हैं :
सख़्ती
क्या सख़्त होने से कम होती तकलीफ?
अगर कर देते तनिक सच्ची सी तारीफ़!
तो अतीत का कोहरा धुंधला पड़ जाता,
अंदर का टूटा बिखरा सब सिमट जाता।
===================================
सुकून
जब लब
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments