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तुम ही बताओ मेरे प्रियवर , कैसे अपने एहसास लिखूं
सब ने सनम को सब कुछ लिखा , मैं तुझको क्या खास लिखूं
तुझको मन का मीत लिखूं या दिल का मैं प्रीत लिखूं
जो तेरे दिल को भा जाए एक ऐसा ग़ज़ल का गीत लिखूं
क्या मैं तुझको ताज लिखूं या फिर मैं मेहताब लिखूं
बदन तेरा संगमरमर सा या गुलो का किताब लिखूं
तुम ही बताओ मेरे प्रियवर , कैसे अपने एहसास लिखूं
सब ने सनम को सब कुछ लिखा , मैं तुझको क्या खास लिखूं
तुझको उगता दिन लिखूं मैं , या फिर ढलती शाम लिखूं
भरी दुपहरी तपती धूप , या मैं तुझे आराम लिखूं
तु
सब ने सनम को सब कुछ लिखा , मैं तुझको क्या खास लिखूं
तुझको मन का मीत लिखूं या दिल का मैं प्रीत लिखूं
जो तेरे दिल को भा जाए एक ऐसा ग़ज़ल का गीत लिखूं
क्या मैं तुझको ताज लिखूं या फिर मैं मेहताब लिखूं
बदन तेरा संगमरमर सा या गुलो का किताब लिखूं
तुम ही बताओ मेरे प्रियवर , कैसे अपने एहसास लिखूं
सब ने सनम को सब कुछ लिखा , मैं तुझको क्या खास लिखूं
तुझको उगता दिन लिखूं मैं , या फिर ढलती शाम लिखूं
भरी दुपहरी तपती धूप , या मैं तुझे आराम लिखूं
तु
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