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नए मौसमो के नए ये रंग है
कोई नही साथ अपने तो
कोई केवल संग है।
नए सफर के नए मंज़र है
हमसफर मिलते नही यूँ ही
नही वो हमारे जो हमसफर है।
बागों में फुल खिल जाते है
बागबान का हुनर नही
भवरे का ऐसा ये असर है।
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