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मेरी दुआ है आतिश-ए-'इश्क़ में
तेरा घर भी यूँ ही जला करे
न ज़ख़्म हो न सकूँ मिले
तेरा दिल भी यूँ ही दग़ा करे
न दर्द हो न दवा मिले
यूँ मेरी तरह तू जला करे
न हो पास कोई न रक़ीब मिले
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