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"बिखराव-1"
दो परिन्दे उड़े
शाक से
अपने अपने दशा में
अपनी अपनी दिशा में,
कि वो उड़े
तो ऐसे उड़े
कि फिर कभी नहीं मुड़े।
- फाल्गुनी रॉय
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दो परिन्दे उड़े
शाक से
अपने अपने दशा में
अपनी अपनी दिशा में,
कि वो उड़े
तो ऐसे उड़े
कि फिर कभी नहीं मुड़े।
- फाल्गुनी रॉय
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