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तुमको लगता है मुहब्बत से किनारा करके,
चैन मिल जाएगा हर कसम कफारा करके।
तुम को हर शख्स में मैं ही मैं नज़र आऊंगा,
इश्क मिल जाएगा हर मोड़ इशारा करके।
आह वो तुम्हारी संदल सी महकती खुशबू,
मौसमों को छोड़ दिया तुमने बहारा करके।
क्या तुम एक पल भी रहे पाओगी मेरे बिना,
क्यों मुझे छोड़ के जाती हो तुम्हारा करके।
तमाम उम्र मैने सीखें नहीं दाव-पेच सौदे के,
तमाम उम्र मैने इश्क किया खसारा करके।
Vikram
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