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हाथ फैलाए या मर जाये बोलो,
आबरूदार किधर जाये बोलो ?
हर कोई तन्हा हर कोई अकेला है,
भीड़ ही भीड़ है जिधर जाए बोलो।
पेट खाली और बदन अधनंग है,
रात को खाए या ठिठुर
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हाथ फैलाए या मर जाये बोलो,
आबरूदार किधर जाये बोलो ?
हर कोई तन्हा हर कोई अकेला है,
भीड़ ही भीड़ है जिधर जाए बोलो।
पेट खाली और बदन अधनंग है,
रात को खाए या ठिठुर
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