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सिखाने से नहीं आती, फकीरी की अदा सारी |
ये रहमत छीन लेती है, जमाने भर की सब यारी ||
हर लम्हा एक कतरा है, हर कतरा भी तो लम्हा है |
कतराने की मोहब्बत में लम्हे ने ज़िन्दगी हारी ||
चुप बैठोगे तो इल्जामों का करे सौदा बन व्यापारी |
बोलने पर भी तो पागल का करता है फतवा जारी ||
जीवन का मोल पहचाने वक़्त की है समझदारी |
ये दुनिया चार दिन की है व् रातें मुफ्त बेचारी ||
वो ऐसा है, ये वैसा है, पास उसके तो पैसा है |
सब कुछ छूट जाता है, धरी रह जाती खुद्दारी ||
क्या बोओगे, कब सोओगे , मानो सबको खोओगे |
हार पे जीत की ज़िद कर भी हारो जीत भरी पारी ||
ये करना है, न डरना है कि सोचो अब तो मरना है |
लिखे हर श्वांस का लेखा सदा उसकी कलमकारी ||
सिखाने से नहीं आती फ़कीरी की अदा सारी ......
ये रहमत छीन लेती है ज़माने भर की सब यारी ...||
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