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तुझसे सबकी शिकायतों का अंबार ले कर लौटा हूँ |
तेरी सृष्टि से मेरे मालिक अखबार ले कर लौटा हूँ ||
बच्चे का है क्रन्दन कि माँ का दूध नहीं मिलता,
जवानों का स्पंदन सच्चा महबूब नहीं मिलता,
गया तो था देने मैं भी दरिया प्रेम के मीठे पानी का,
किन्तु राम मैं बदले नफरत की आग ले कर लौटा हूँ ||
तुझसे सबकी ........
माता ढूंढ रही है भगवन उसका लुटा हुआ आँचल,
करे पिता क्या जब पंख अलग उसके व वह घायल,
लज्जित पद सम्बन्ध हुए हैं मशीनों
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