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नहीं ही होगा यकीं उनको नहीं वो सिर्फ हम ही हो जाते,
वो जो गर जौहरी न होते तो हर एक को न परखने जाते,
टूटे जब से हम तभी से उनका भी कुछ तो गया है शायद,
ज़िंदगी नाम से भला वे क्यूँ फिर यूँ हमें अब तक बुलाते,
दीजिएगा तन्हाइयों को ख्वाबों का सहारा सदा हमदम
जान के अकेलापन को अवसर अक्सर वो मिलने आते,
उदगार हैं तो भला ए
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