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बहुत सारी भेड़ें हैं,और हैं उनमें कुछ मनचली बकरी भी,
न तो चरवाहा ही दिखता न बंधी डंडे में उसकी ठठरी ही,
शेर भी बैठा ताक लगा के बीती रात उसे कुछ अखरी सी,
पदचिन्ह गज के नहीं थे धूल में हिरन ने बाँधी चकरी थी,
सियारों ने जब कहा हुआ हुआ लोमड़ी अंगूर पकड़ी थी,
रेशमी बंधन वह देती कैसे जाल बना फ़साती मकड़ी थी,
सैलाब
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