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"बातें" - विवेक मिश्र

विवेक मिश्रविवेक मिश्र April 11, 2023
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राम कहाँ हैं अक्सर पूँछें अंतर्मन में आ राम की बातें,
राम को ढूंढें अपने मन में कहिये सुनिये राम की बातें,

इनकी बातें उनकी बातें हमनें सुन ली सब की बातें,
बात करे न करने वाला करतें सब स्व मन की बातें,  
राम कहाँ हैं ...............

उनने इनकी बात चुरा ली इनने भी दो बात सुना दी
बात बात में ही हो गई बेमतलब बड़े बबाल की बातें ,
राम कहाँ हैं ..............

चिकनी बातें चुपड़ी बातें हैं जितने मुँह उतनी ही बातें,
बातों का आयाम बड़ा जमीन और आसमाँ की बातें,
राम कंहाँ है ..............

बीते कल की और बात थी अब आज की बात दूसरी,
भविष्य का आभास करा दें होती ऐसी राज की बातें,
राम कहाँ हैं ...............

तीर सी चुभती उनकी बातें फूल सी जैसे इनकी बाते,
शहद में डूबी बातें करना कहते है वे कमाल की बातें,
राम कहाँ है.............
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