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इश्क दफ्न है कही दिल के कोने में
कही सामने आए तो राज ना खुल जाए
पन्ने भर पलट-पलट कर तेरी तारीफे लिखी
मगर हम तुम्हे चाहते है ये लिख न पाए
आए तो थे तेरे सहर में हम
लेकिन तुमसे मुलाकात हो न पाए
सच्चा वाला इश्क किया था हमने
लेकिन तुम पूरा कर भी न पाए
शयन से उठता हर रोज सुबह
बस तेरी ही याद आए
प्यार तो था मगर कह नहीं पाए
तक्कलूफ इश्क की हम नुमाइ
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