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वो इश्क़ तो समझती हैं
मगर मेरी जात को नहीं समझती
वो नादाँन है पगली दोस्त तो समझती है
मगर मेरी महोब्बत को नही
मगर मेरी जात को नहीं समझती
वो नादाँन है पगली दोस्त तो समझती है
मगर मेरी महोब्बत को नही
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