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यादों के मकान में हम भी रहते थे अब वह मकान कहां रहा
लुट गई तकदीरे, मस्तक की निशानी अब ढूंढो लोगो की ईमानदारी कहा रहा ।
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यादों के मकान में हम भी रहते थे अब वह मकान कहां रहा
लुट गई तकदीरे, मस्तक की निशानी अब ढूंढो लोगो की ईमानदारी कहा रहा ।
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