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अब सोना गवारा नहीं
बिना मंजिल की हसरत नहीं
हर खुशी, हर पल चैन से सोना नहीं
अब सोना गवारा नहीं
हार से डर कभी घबराहट नहीं
सीढ़ी पहली डगमगाए लड़खड़ाना नहीं
खुद गिरकर, खुद को उठाना सीखना
कोई और
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