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अब सोना गवारा नहीं
बिना मंजिल की हसरत नहीं
हर खुशी, हर पल चैन से सोना नहीं
अब सोना गवारा नहीं
हार से डर कभी घबराहट नहीं
सीढ़ी पहली डगमगाए लड़खड़ाना नहीं
खुद गिरकर, खुद को उठाना सीखना
कोई और चलना सिखाएगा नहीं
अब सोना गवारा नहीं
शिक्षा के बिना कोई अनुभव नहीं होगा
वो जो तू खोयेगा, उससे बड़ा मिलेगा सही
तड़पता है सूरज जिस तरह जग ए
खुद को जलाओ, संघर्ष बिना जीते नहीं
अब सोना गवारा नहीं
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