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प्रेम की पात्रता

Vishnukant ChaturvediVishnukant Chaturvedi March 30, 2023
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प्रेम की पात्रता


राम और अर्जुन की जीवन व्यंजना से यह पता चला कि,

प्रेम करना पर्याप्त नहीं है मात्र,

धनुष तोड़ना और उसपर प्रत्यंचा चढ़ाने की पात्रता भी होनी चाहिए,

अब यह न कहना कि यह तो कर्ण को भी आता था,

क्योंकि वीरता का अंत उसी क्षण हो जाता है,

जब उसका प्राण अधर्म के पाले में चला जाता है!

यह माना कि आदियोगी का त्रिशूल टूटा,

यह माना कि महामौन का मौन भंग हुआ,

यह माना कि परशुराम का क्रोधनाल भड़क उठा,

यह मान लिया कि प्रत्यंचा का टूट

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