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मानवी अकांक्षा!
मानव तुमने जो पाया,
वह कम पाया।
थोड़ा-बहुत जमी और,
क्या पाया।
नूतन-नूतन खोज तुमने
कर के दिखलाया
जा कर आया चंद्रलोक से
मंगलयान भी न बचपाया
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मानवी अकांक्षा!
मानव तुमने जो पाया,
वह कम पाया।
थोड़ा-बहुत जमी और,
क्या पाया।
नूतन-नूतन खोज तुमने
कर के दिखलाया
जा कर आया चंद्रलोक से
मंगलयान भी न बचपाया
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