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मानवी अकांक्षा!
मानव तुमने जो पाया,
वह कम पाया।
थोड़ा-बहुत जमी और,
क्या पाया।
नूतन-नूतन खोज तुमने
कर के दिखलाया
जा कर आया चंद्रलोक से
मंगलयान भी न बचपाया
धरा को उलटा
अद्रि, द्रुम, जीवों तक मे
परिवर्तन तुमने कर डाला
अब न जाने कब तक
बची रहेगी यह नंदन काया
मानव तुमने जो पाया
वह कम पाया।
#मानवीअकांक्षा
#विशालसिंहमौर्य
~विशाल सिंह मौर्य
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