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यह प्रेम की दीवार
ढह जायेगी
एक दिन सहसा
एहसास होगा जब
ये गिरने लगेंगी।
खुल कर उड़ने दो इन्हे
खुले आकाश मे
पता नही सहसा,यह
जीवन ढह जायेगा।
अकेलेपन का भय
खाता जायेगा,तुम
खेचर तुम पर
फैलाकर उड़ो
नाम दो,इस
कोमल उर मे
जगह बना लो
पता नही यह-रिक्त
कब भर जायेगी
बनी बनाई जेले भी
ढह गायेंगी
यह प्रेम की दीवार
ढह जायेगी।
~विशाल सिंह मौर्य
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