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भिखारी लाल को अभी कोई दो साल  ही हुए होंगे अपनी नयी नौकरी ज्वाइन करे हुए. समय पे अपने काम पे आ जाना और समय पे अपने काम को भी पूरा कर लेने की आदत थी उसको. दिन रात काम करके शायद तरक्की के सोपानों पर वो कदम ताल करना चाहता था. तरक्की हुई. विभाग में पूर्व से उच्च पद में प्रोन्नति हो गई. पर क्या था जो भिखारी लाल को अंदर ही अंदर खाये जा रहा था. वो था अपने साथ ही ज्वाइन करने वाला लालचंद।
कारण भी सही था. साथ पढ़े , साथ में नौकरी लगी. मेहनत  भी लगभग बराबर की.क्या   कमी रह गयी जो उसक

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