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मंद-मंद शीतल पवन।
शांत-शांत चंचल मन।
दिन-भर सब अच्छा चल रहा था।
सांझ को फिर सूरज ढल रहा था ।
मैं फिर तेरी यादों के जानिब चल पड़ा।
मुस्कराते चेहरे पर अश्रु इक फिसल पड़ा।।
नैन-नैन बरसे।
रैन-रैन बरसे।
मैं फिर दरिया किनारे बढ़ रहा था ।
इक उम्मीद के सहारे बढ़ रहा था ।
देख के मुझको समन्दर भी मचल पड़ा।
मुस्कराते चेहरे पर अश्रु इक फिसल पड़ा।।
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