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Kumar VishwasPoetry2 min read

कोई बिछड़ा यार मिलायें

Vishal SharmaVishal Sharma March 29, 2022
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जग जग नैन भीतर धंसे पर साजन न आये।

दिल कली रही कुमलाय काहे सावन न आये।

चलनी काढ़े ताकू चाँद मैं,

दिन सुहागन वाले पिया पानी पिलावन न आये।


लाख दुआयें दूँगी, दिल से सदाये दूँगी,

सर रखूँगी उसको उठाये।

पिया मोरा ढूँढ के लायें।

कोई बिछड़ा यार मिलायें।।


पिया याद में जिया में आग लगे।

बिन माली सूना अब बाग लगे।

साजन न हो जब सम्मुख नेनन के,

अंधेरी दिवाली, बेरंग फाग लगे।

रस्ते में पलके बिछायें दूँगी, काँटे सारे हटायें दूँगी,

रखूँगी नैन दीप जलायें।

पिया मोरा जब घर आयें।

कोई बिछड़ा यार मिलायें।।

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