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फलसफे ज़िंदगी के तमाम हो गये।
आये थे काम से पर बेकाम हो गये।
अमीरों ने बना दिये ताजमहल,
गरीब थे जो आश़िक गुमनाम हो गये।
वो देर से देख रहे थे हमको,
हमने जो देखा तो कत्लेआम हो गये।
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