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कोई मिला खवाईशों के मकान लिए, तो कोई, खुशियों की दुकान लिए।
सबकी फुर्सत पर दिखा एक धुन सवार, मिला हर कोई, बातों में उड़ान लिए।
संग खेले थे जिसके बचपन में, धूल में, मिला वो भी, झूठी शान लिए।
रोज नये चेहरे यहाँ बदलता आदमी, दिल में काला, मीठी जुबान लिए।
चिर परिचित था, हर शक्श यहाँ, पर मिला हर कोई नई पहचान लिए।
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