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जो है‌ अंतर्मन उसे भी पुकारा करो

Vishal ShandilyaVishal Shandilya July 24, 2022
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ज़ख्मों को दो कुछ पल खुली हवा।

दर्द भी अब चाहती कोई नई दुआ।

जो है‌ अंतर्मन उसे भी पुकारा करो।

कुछ वक्त साथ उसके गुजारा करो।

सपनों पर हों जो छाए बादल बहुत।

उम्मीद का नुतन कल संवारा करो।

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