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सुना है मेरे ख्वाबों ने
मुझे एक चिट्ठी लिखी है
भूले बिसरे मेरे ख्वाबों की
कहीं तो एक गठरी रखी है
ज़िन्दगी की नेमतों में
ख्वाबों की गिनती नहीं हुई
वक़्त की मुशक्कतों से
इनकी तरफ से विनती नहीं हुई
मायूसी और उदासीनता
अब मेरे ख्वाबों की सखी है
भूले बिसरे मेरे ख्वाबों की
कहीं तो एक गठरी रखी है
सुना है मेरे ख्वाबों ने
मुझे एक चिट्ठी लिखी है
दूर अंधियारे कोने में
उम्मीद की एक किरण दिखी है
कि सजग सजल हो
आतुर बेकल हो
ख़्वाब फिर से रंगीन हो&nbs
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